शिव रात्रि
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
शब्द ब्रह्म महिमा कहूं, उर धर गुरु उपदेश।
प्रेम सहित हृदय बसहु, शारद शेष गणेश।।
शब्द ब्रह्म ओंकार है, शब्द हरि का नाम।
शब्द ब्रह्म में बस रहे, ईश्वर अल्लाह राम।।
शब्द ब्रह्म गीता बसे, चारों वेद पुराण।
शब्द ब्रह्म गुरुबाणियां, बाइबल और कुरान।।
भाषा और सब बोलियां, शब्द ब्रह्म की शान।
मुख से जब भी बोलिए, शब्द ब्रह्म पहचान।।
शब्द ब्रह्म की शक्ति से, मत रहना अनजान।
शब्दों के आघात से, आहत न हों प्राण।।
सकल सृष्टि शिवमय बसहि, देखहूं नयन पसार।
सृष्टि सकल कल्याण महि, जित देखहूं त्रिपुरारि।।
शब्द ब्रह्म नहीं लिख सके, महिमा मांत अपार।
सकल विश्व आंचल बसे, पालहु सब संसार।।
विश्वनाथ माया प्रबल, सकल जगत आधार।
पालै पोसै उपजे, और करें संहार।।
जड़ चेतन जग जीव जे, रचे विधाता जान।
सबको सेवो प्रेम से, प्रभु मूरत पहचान।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी