शिव महिमा
शिव महिमा
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देवों के भी देव कहाते,
भोले से पर नाथ कहाते।
दर्शन कठिन तपस्या इनकी,
जो मांगे वह वर दे जाते।।
#सोमनाथ ने तपे चंद्र को,
तब दक्ष श्राप से मुक्त किया।
गौतम गोदावरी नदी को,
#त्रयम्बकेश्वर ने मान दिया।।
मन भावन #केदारनाथ को,
प्रिय पर्वत श्री कैलाश किया।
पूज लिया जब #रामेश्वर तो,
श्री राम विजय-वरदान दिया।।
#श्रीनागेश्वर के चरणों में,
मनोकामना पूरन पाएँ।
दर्शन सूर्य उदय उपरांत,
#भीमाशंकर पाप मिटाएँ।।
#ओमकारेश्वर, हर नर्मदे,
ॐ नाम आकार बनाती।
पर्वत शैल भी कृष्णा नदी,
#मल्लिकार्जुन मन को रिझाती।।
#बैधनाथ लिंग देवों का घर,
कामना लिंग यही कहलाता।
#महाकाल की भस्म-आरती,
क्षिप्रा संग यह जग दुहराता।
#विश्वनाथ त्रिशूल ले काशी,
बाद प्रलय के फिर रख देंगे।
#घृष्णेश्वरी दुखित जन मन को,
आत्मिक शांति से भर देंगे।।
बारह ज्योतिर्लिंगों में नाथ,
हर हर महादेव कहलाते।
जो जन जपे नाथ की #जय जय,
मनवांछित फल प्रतिपल पाते।।
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संतोष बरमैया “जय”