शिव महिमा
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सावन माह हे शिव भक्त करे पुकार तेरा।
जयकारे की गूँज से, गूँज रहा संसार तेरा।
झूठी दुनिया, झूठे रिश्ते-नाते सब
सिर्फ़ सच्चा एक दरबार तेरा।
हे शिव शंकर, हे त्रिशुलधर
दर्शन चाहूँ मैं प्रलयंकार तेरा।
हे जग त्राता, विश्व विधाता,
करती हूँ वंदन बारंबार तेरा।
हे अविनाशी, घट-घट के वासी,
मन मंदिर में रहे हर पल विहार तेरा।
हे नित्य, अखंड, अनंत, अनादि,
ब्रह्म रूप निराकार तेरा।
हे बाधम्बर धारी, भोला त्रिपुरारी,
वीभत्स रूप अवतार तेरा।
हे मनरंजन,अलख निरंजन,
अनुपम रूप श्रृंगार तेरा।
हे प्रेम के सिंधु, दीन के बंधु
सुख शांतिनिकेतन द्वार तेरा
हे सुख कर्ता,दुख हर्ता महादेव,
मुझ पे हैं उपकार तेरा।
मैं ध्यान जिस दम धरूँ,
लब पे रहे मंगलाचार तेरा।
मैं मूरख, तू अंतर्यामी,
हर पल करूँ जयकार तेरा।
प्राण सखा, त्रिभुवन प्रतिपालक,
शुभ दृष्टि चाहूँ हर बार तेरा।
??? —लक्ष्मी सिंह ?☺