शिव बनो
छलका छलका
दर्द छलका
कोई खाली गागर लाओ
इसे भरने के लिए
अब कोई खाली गागर बची नहीं
तुम्हारे दर्द का सागर भरने के लिए
दर्द को छलकाना बंद करो
खुद पी लो इसे
भीतर भीतर
एक मानव का चोला छोड़कर
एक शिव की साधना कर
शिव का चोला धारण करो
शिव बनो
शिव की चेतना का खुद में संचार करो
दर्द का विष
छलकाओ नहीं
उसे अमृत की भांति अपने भीतर ग्रहण करो
इस संसार की जटिलताओं से घबराओ नहीं
भागकर कहीं कैलाश पर्वत पर पहुंच जाओ नहीं
खुद के भीतर ही कहीं सम्पूर्ण सृष्टि का
निर्माण करो
विष को विष न समझ
प्रभु का प्रसाद समझो
इसे सहर्ष स्वीकारो
इसकी उपेक्षा कर अपने अंदर के सजग मानव को
एक विषैली नींद सुलाओ नहीं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001