शिव बंदना
शिव बंदना
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साथ में जिनके गणपति विराजे,
और साथ में गौरा बैठी साजे
विष का पान किया,और नीलकंठ
कहलाये।
ऐसे हैं शंकर भोले
हे!करूणाकर शिव शंकर सुनो मेरी
पुकार,
डूब रही नैया मेरी,करदो बेड़ा पार।
आत्मज्ञान और मुक्ति का शिव
आत्मस्वरुप,
शिव समान दाता नही,कष्ट हरै अनुरूप।
ऐसे हैं शंकर भोले
शिव ही आदि,शिव ही अंत शिव हैं
मूलाधार,
कृपा सभी भक्तों पर करें,
शिव की शक्ति अपार।
कृपा करें भोले
शशि ललाट सोहे,सिर पे गंगा,
तीन नयन उपवीत भुजंगा–
गले विराजत मुंडमाल।
महिमा हे शिव की निराली,
कर में त्रिशुल डमरू तिहारे,
कटी में बाघम्बर धारे
देवो के महादेव रक्षा सभी कि हे करें–
सुमिरन तेरा सब करें,
मानुष माथ झुकावे चरण तेरे—-
भोले भंडारी शिव हें मेरे!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,