Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2020 · 3 min read

शिव ताण्डव स्तोत्रम्

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का भावानुवाद
सरसी छन्द-
जिनकी सघन जटाओं से है,निःसृत गंगा धार।
पड़े गले में रहते जिनके, नित सर्पों के हार।
बजा बजा जो डम डम डमरू,ताण्डव करें प्रचंड।
उन शिवजी से विनय हमारी,दो वरदान अखंड।।1
मत्त सवैया
प्रबल वेग से रहे प्रवाहित, जिनके शीश गंग की धारा।
मस्तक पर धू धू कर जलती,अग्नि सदा बनकर अंगारा।
बाल चंद्र से रहें विभूषित,छवि शंकर की नित मनुहारी।
उनसे हो अनुराग हमारा,जग जाए शिव पर बलिहारी।।2
सार छंद-
रखती हैं प्रमुदितआनंदित,जिनको शैलकुमारी।
रहती है जिन पर अवलंबित,सृष्टि सुहानी सारी।
हरते हैं भक्तों की विपदा ,सुन भोले भंडारी।
चित्त करो आनंदित मेरा, नाथ दिगंबर धारी।।3
रोला छंद-
लिपटे रहते सर्प ,शंभु की सघन जटा में।
फणि मणि कांति प्रकाश,दिखे प्रत्येक दिशा में।
तन धारे मृग -चर्म, जगत के पालन हारी।
मिले सकल आनंद,भक्ति प्रभु करूँ तुम्हारी।।4
कुकुभ छंद-
विष्णु इंद्र के शीश पुष्प शिव, चरणों में शोभा पाते।
इसीलिये तो शिव शंकर ही ,प्रभु महादेव कहलाते।
विषधर काले नाग गले नित, जिनका सौंदर्य बढ़ाते।
विधुशेखर वे दुख हर करके,सुख समृद्धि हैं बरसाते।।5
कुंडलिया छंद-
करते हैं इन्द्रादि का,गर्व सदा प्रभु दूर।
कामदेव का दहन कर,करें दर्प को चूर।
करें दर्प को चूर, सभी देवों से पूजित।
देवनदी राकेश,शीश पर रहें सुशोभित।
सुनते भक्त पुकार,जोश हैं उर में भरते।
दो भोले हर सिद्धि,विनय हम तुमसे करते।।6
बरवै छंद-
भस्म किया मनोज को,खोल त्रिनेत्र।
प्रकृति संग सृजनहार,नित हर क्षेत्र।
बनी रहे शंभु चरण, प्रीति अपार।
एक यही वर माँगू ,हाथ पसार।।7
ताटंक छंद-
कंठ अमावस रजनी सम ,जिसका रहता काला है।
शीश विराजें सुरसरि विधु कटि,बँधी हुई मृग छाला है।
करता वह कल्याण जगत का, पी जाता दुख हाला है।
देता सबको जो सुख संपति ,वह प्रभु डमरूवाला है।।8
उल्लाला छंद
शिव कंठ पुष्ट स्कंध तो ,नीलकमल सम श्याम हैं।
हर दुख भंजक आप ही,त्रिपुरारी अभिराम हैं।।
दक्ष यज्ञ उच्छेक हे ,मारे गज अंधक असुर।
काल नियंता आप का,सुमिरन करते लोक पुर।।9
त्रिभंगी छंद-
हे शिव शुभ कर्ता,जन दुख हर्ता,सब जग भर्ता,उपकारी।
गज अंधक मारा, मदन सँहारा, हर महि भारा, त्रिपुरारी।
मख दक्ष विदारा, उमा सहारा ,जग अघ हारा ,विषपायी।
प्रभु काल नचावत,मन हरषावत,जग गुण गावत,वरदायी।।10
दोहा मुक्तक-
वेगवती अति शीश पर ,सर्पों की फुफकार।
धधके अग्नि ललाट पर ,मचता हाहाकार।
सुन मृदंग का नाद शिव,हों ताण्डव में लीन,
शिव शंकर हर वेश में ,शोभित सर्व प्रकार।।11
विष्णुपद छंद –
प्रस्तर खंड सुकोमल शय्या में,भेद नहीं माना।
मिट्टी रत्न रंक राजा को ,एक सदा जाना।
मोती हार सर्प तृण पंकज,सबको अपनाते।
समतामूलक ऐसे शिव के ,हम सब गुण गाते।।12
मत्तगयन्द सवैया
गंग कछार निवास करूँ तजि मान गुमान सदा शिव ध्याऊँ।
शीश नवा कर अंजलि धारण मातु उमा नित शीश झुकाऊँ।
मस्तक अंकित मंत्र मनोहर पाठ करूँ शिव के गुण गाऊँ।
आस यही अरदास यही शिव की शरणागति के सुख पाऊँ।।13
रुचिरा छंद-
वेणी गुम्फित पुष्पों से ,ज्यों मनहर सदा पराग झरे।
त्यों शिव तन की सुन्दरता,हर मन में नित अनुराग भरे।
मोद प्रदायक तन शोभा ,शंकर सौंदर्य निधान खरे।
शिव का अनुपम रूप सदा,मन को आनंद प्रदान करे।।14
मनहरण घनाक्षरी-
करे हर एक वस्तु,भस्म बड़वाग्नि जैसे,
उसी तरह जग का,पाप हर नष्ट हो।
आती हैं पास सिद्धियां,मिटते अभाव सब,
जीवन हो खुशहाल ,दूर हर कष्ट हो।
मधु ध्वनि संपूरित,मंगल प्रदान करे,
गायन शिव स्तोत्र का,अति श्रेष्ठ स्पष्ट हो।
पावन महान मंत्र ,जग दुख दूर करे,
मन में उल्लास भरे ,विजय उत्कृष्ट हो।।15
दोहा-
शिव ताण्डव स्तोत्र अति,पावन परम पुनीत।
पढ़ने सुनने से बढ़े ,गुरु हरि पद से प्रीत।।16

शिव पूजा के साथ जो,करे स्तोत्र का गान।
श्री हय गय से युक्त वह,हो जाए धनवान।।17
इति श्री शिव ताण्डव स्तोत्रम्
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 306 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
Ajit Kumar "Karn"
दोस्तों !
दोस्तों !
Raju Gajbhiye
3699.💐 *पूर्णिका* 💐
3699.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तुम
तुम
Dr.Pratibha Prakash
मैंने, निज मत का दान किया;
मैंने, निज मत का दान किया;
पंकज कुमार कर्ण
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
Paras Nath Jha
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
वो तीर ए नजर दिल को लगी
वो तीर ए नजर दिल को लगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"तुम्हें कितना मैं चाहूँ , यह कैसे मैं बताऊँ ,
Neeraj kumar Soni
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
Rj Anand Prajapati
दम उलझता है
दम उलझता है
Dr fauzia Naseem shad
मौसम....
मौसम....
sushil yadav
" दर्द "
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
जिंदगी सीरीज एक जब तक है जां
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हिंदी दिवस को प्रणाम
हिंदी दिवस को प्रणाम
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
सरकारों के बस में होता हालतों को सुधारना तो अब तक की सरकारें
सरकारों के बस में होता हालतों को सुधारना तो अब तक की सरकारें
REVATI RAMAN PANDEY
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
नजरें नीची लाज की,
नजरें नीची लाज की,
sushil sarna
प्रेम की पाती
प्रेम की पाती
Awadhesh Singh
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
VINOD CHAUHAN
गैस कांड की बरसी
गैस कांड की बरसी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
कवि रमेशराज
■शिक्षक दिवस (05 सितंबर)■
■शिक्षक दिवस (05 सितंबर)■
*प्रणय*
हरसिंगार
हरसिंगार
Shweta Soni
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
Monika Arora
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Some people are just companions
Some people are just companions
पूर्वार्थ
Loading...