शिव अविनाशी, शिव संयासी , शिव ही हैं शमशान निवासी।
शिव अविनाशी ,शिव सन्यासी ,
शिव ही हैं शमशान निवासी।
शिव को ही पहचान बनाओ,
चारों पहर शिव गुण गाओ,
दिल के तार शिव से जोड़ो,
दुःख हो या सुख के पल हो,
शिव से कभी मुख न मोडो।
शिव अविनाशी, शिव संयासी,
शिव ही हैं समशान निवाशी।
कभी वह भोले भंडारी कहलाते,
कभी रुद्र रूप अपनाते,
कर में त्रिशूल जटाओं में गंगा,
मस्तक पर उनके सोभते चंदा।
शिव अविनाशी, शिव संयासी,
शिव ही हैं शमसान निवाशी।
शिव को मनाना, शिव को पाना,
है बहुत ही आसान,
क्षण में प्रसन्न हो जाते हैं,
शिव शंभु शंकर भगवान।
शिव अविनाशी, शिव संयासी
शिव ही है समशान निवाशी।
माहासती के पति कहलाते,
दुखियों के वह दुःख हर जातें,
त्रिनेत्र धारण करने वाले,
रिद्धि सिद्धि सुख देने वाले।
शिव अविनाशी, शिव संयासी,
शिव ही हैं समशान निवासी।
शिव में शक्ति, शक्ति में शिव,
क्षण क्षण में शिव,
कण कण में शिव,
भक्तों के अंतर्मन में शिव ।
शिव अविनाशी, शिव संयासी
शिव ही हैं शमशान निवासी।
जो जन बेलपत्र अर्पण करेंगे,
उनका देव हर कष्ट हरेंगे,
स्मरण सदेव इन बातों का रखना,
शिव भक्तों की परीक्षा हैं लेते,
लेकिन नैया न डूबने देते ।
आस्था सदेव शिव पर बनाये रखना
चाहे जितने कष्ट पड़े सहना ,
हर क्षण बस शिव शिव जपना ।
शिव अविनाशी, शिव संयासी,
शिव ही हैं शमशान निवासी।
न आती न अंत है शिव का,
न कोई एक रूप है शिव का,
न जन्मे न अजन्मे कहलाते,
कभी पशुपति तो कभी ,
अर्धनारेश्वर रूप में आते ।
शिव अविनाशी, शिव संयासी,
शिव ही हैं शमसान निवासी।
चंड मुंड धारण करने वाले,
भांग धतूरा के मतवाले,
पंच कोशी है रचना शिव की,
हिम पर्वत पर शिव ही विराजे।
शिव अविनाशी, शिव संयासी,
शिव ही हैं शमशान निवासी।
विष को पान करने वाले,
शृष्टि की रचना करने वाले,
मंदिरों के घंटों में शिव,
भक्तों के सत्संगों में शिव।
शिव अविनाशी , शिव संयासी,
शिव ही हैं शमशान निवासी।
सर्पधारी शिव, भस्मधारी शिव,
शर्व रूप में शिव, भव रूप में शिव,
उग्र रूप शिव, महारुद्र रूप में शिव।
सकल गुणों में श्रेष्ठ शिव हैं,
निर्गुण रूप में शिव हैं।
शिव अविनाशी ,शिव संयासी
शिव ही हैं शमशान निवासी।
गौरी तिवारी ,भागलपुर बिहार