शिवाजी का प्रश्न(क्या सुसुप्त तुम्हारा ज़मीर है )
शि #शिवजन्य, सिंह शौर्यसी सौष्ठव कुंजरो सा बलशाली
वा #वारो का कर खंडन,संशय विस्मरण हुंकार मराठों की थी शक्तिशाली
जी #जीजा जननी के प्रश्रय में प्रतिष्ठ,पराक्रमी प्रबल प्रतिद्वंदी बने
सोई तुम्हारी आत्मा ….सुसुप्त तुम्हारा ज़मीर है
क्या तुम में जिंदा ..कोई शिवाजी ??अश्रु का ये प्रश्न है
तुम हम जैसे वो एक भारतीय ,
राष्ट्र कुल, मां भारती k सच्चे थे वो सपूत ..
रणवीर, रणबांकुरे,कर रणविजय ,..
तुमको मेरा शत शत नमन है
पौरुष प्रदप्त,प्रदग्ध, प्रचण्ड शौर्य गाथा है
ना विस्मरण करो ना विलोपित नस नस मे बहती तप्त रुधिर धारा है ,
शिवा न सही… शिविका भली कंठ कंठ ये तिरोहित है,
रण प्रस्थान करो..मार्ग प्रशस्त, हो ..प्रकल्पीत प्रतिमानों से कीर्तिमान रचो ,विश्व पटल पर छा जाओ …युग युगान्तर तक सुयश फैले शिविके..
✍️ अश्रु