*शिवरात्रि*
शिवरात्रि
हो रहा शिवरात्रि का आगमन,
भारत का संस्कृतिक पर्व अति पावन।
शिवजी पर चढ़े बेलपत्र, धतूरा और भांग,
शिवरात्रि रंगती भक्तों को भोले के रंग।
स्त्रियां गाती शिव-पार्वती के गीत,
मन में मांग रही शिव सा मनमीत।
बोल बम, बम-भोले,
ऊं का उच्चारण करते हैं भक्त,
रहते ना महाकाल के नाम से आसक्त।
पार्वती, गणेश, कार्तिकेय के साथ,
नटराज करते कैलाश पर निवास।
गंगा जी जिनकी चोटी में प्रवाहित, तीसरा नेत्र शंभु के माथे पर समाहित।
तांडव से कला का करते प्रदर्शन,
सनातन संस्कृति का चढ़ा भक्तों पर रंग।
त्रिपुरारी हैं अनंत, देते वेदांत के दर्शन,
जिनकी भक्ति में झूमे भक्तों का अतः मन।
बारह ज्योतिर्लिंग से भारत भूमि हुई अति पावन,
बाबा अमरनाथ की यात्रा है मनभावन।
कैलाशपति ही जीवन के करता-धरता,
संपूर्ण दुखों के वे हैं हरता।
आओ इस शिवरात्रि पर करें ऐसी भक्ति,
जीवन में मिले शिव जी सी शक्ति।
डॉ प्रिया।
अयोध्या।