शिल्प कुशल रांगेय
थे राघव जी बहुमुखी, अनुपम रचनाकार
गद्य-पद्य में आपका, कालजयी संसार
थे उपन्यासकार या, श्रेष्ठ कहानीकार
शिल्प कुशल रांगेय थे, हिन्दी को उपहार
नाटक ओ आलोचना, थे समस्त हथियार
राघव जी हर क्षेत्र को, देते थे विस्तार
वेत्ता थे इतिहास के, पढ़ना है सौभाग्य
कलम चली हर रूप में, रिपोर्ताज ओ काव्य
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रांगेय राघव जी की मूर्ति, कुशल शिल्पकार डॉ प्रणय जी ने बनाई है।