शिखर पर साध्वी प्रमुखा
विवेकशील कुशाग्रबुद्धि ममतामयी, संकोची,,
पिता सूरजमल बैद और माता छोटी बाई की संतान,,
माता पिता ने दिया कला जिसे नाम।
बाइस जुलाई उन्नीस सौ इक्तालिस को,,
कलकत्ता में जन्मी भविष्य की साध्वी
कनक प्रभा जिसका नाम।
सन उन्नीस सौ छप्पन में कला ने
पंद्रह वर्ष की अल्पायु में सन उन्नीस सौ छप्पन में
पारमार्थिक शिक्षण संस्था में प्रवेश लिया,
चार वर्ष के प्रशिक्षणोपरांत
विनम्र, मेघावी, मुमुक्षु स्थान कला ने अर्जित किया।
उन्नीस जुलाई उन्नीस सौ साठ
गुरु पूर्णिमा के पावन दिवस
तेरापंथ के आचार्य श्री तुलसी से
उन्नीस वर्षीय कला ने केलवा में दीक्षा ग्रहण किया।
गुरुदेव के सान्निध्य में रहकर व्याकरण,
कोश, तर्कशास्त्र ,आगम आदि विधाओं का
तलस्पर्शी अनुशीलन किया।
अध्ययन, अनुशीलन और लेखनी के दम पर,
सहस्रों पद्य परिमाण कंठस्थ कर,
साध्वियों की पहली पंक्ति में स्थान पा लिया।
बारह जनवरी उन्नीस सौ बहत्तर को
गंगाशहर की धरा पर आचार्य श्री तुलसी ने
तीस वर्षीया कला को साध्वी प्रमुखा बना,
कनक प्रभा नामकरण कर दिया।
कुशल संपादिका, व्यक्तित्व निर्मात्री,
कवयित्री, प्रखर वक्ता, लेखिका,,
प्रशासन और प्रबंधबेत्ता के रूप में,,
साध्वी प्रमुखा ने विविध कीर्तिमान स्थापित किया।
आचार्य श्री तुलसी द्वारा रचित अधिसंख्य
तत्व विद्या, योग, दर्शन, काव्य साहित्य,
जीवन चरित्र, आध्यामिक, औपदेशिक ग्रंथों का
संपादन साध्वी कनक प्रभा जी ने ही किया।
नारी की विशेषताओं, क्षमताओं और
सेवाओं को उभारने के साथ महिलाओं को
अपरिमेय आयाम दिया ।
अपने क्रांतिकारी विचारों और सशक्त लेखनी द्वारा
अस्तित्व बोध से दायित्व बोध तक का प्रशिक्षण देकर,
आधी आबादी का आध्यात्मिक पथ दर्शन का
जिम्मा भी साध्वी ने अपने सिर पर ओढ़ लिया।
सरल सहज प्रवाहमय रोचक वाणी और
विशिष्ट शैली के दैनिक प्रवचन, वक्तव्यों से
श्रोताजनों को अपने प्रभाव से प्रभावित किया,
उनके अंत:करण के परिवर्तन की दिशा का
रुख तक कनक प्रभा जी ने मोड़ दिया।
विविध विधाओं में अपनी लेखनी से
परिपक्व साहित्यकार लेखिका साध्वी ने,
भाषा, कथ्य, शैली और तथ्य मिश्रित लेखन से
सृजन चेतना से तेरापंथ धर्म संघ में ध्वज लहराया।
प्रबंधन और प्रशासन वेत्ता रूप में
अपनी विशिष्ट पहचान बनायी।
नियोजित कार्यशैली के गुणवत्ता पर,,
सफलता का नया नया कीर्तिमान बनाया।
साध्वी प्रमुखा, महाश्रमणजी और संघ महानिदेशिका के
शासन माता पदों को सुशोभित किया।
बहुमुखी विलक्षण प्रतिभा की धनी,
साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा जी ने जीवन पथ पर
अनेकानेक सम्मान और उपलब्धियां,
त्रै आचार्यों से पाकर संघ शिखर पर
शासन माता ने श्रेष्ठ स्थान पा लिया।
ऐसी महान विभूति के चरणों में
भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण,
शत -शत नमन वंदन।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उतर प्रदेश