शिखर की राह
छोड़ तांक झांक बाहर की
पहले हम खुद को देख लें
कमियां ढूंढने से पहले दूसरों में
अपनी कमियों को देख लें।।
हमें कोई फायदा होगा नहीं
बुराई दूसरों की करने से
जो हम चाहते हैं पाना कुछ
मिलेगा लगन से करने से।।
समझेंगे जितना जल्दी हम
होगा उतना ही अच्छा हमारे लिए
कमियों को मिटाएंगे अपनी हम
तभी नया रास्ता खुलेगा हमारे लिए।।
जाने क्यों मिलता है संतोष हमें
बस दूसरों को नीचा दिखाकर
चैन भी मिलता है बस दूसरों की
उपलब्धियों को छोटा दिखाकर।।
सभी बनना चाहते है बड़ा
बड़ा बनने में है कोई बुराई नहीं
जिंदगी तो खुद से जंग है
यहां दूसरों से कोई लड़ाई नहीं।।
सोचो ज़रा दूसरों को गिराकर
हम कैसे आगे बढ़ पाएंगे
कोई और निकल जायेगा आगे
हम तो वहीं रह जायेंगे।।
छोड़कर दूसरों की चिंता
करें ये प्रण आज ही हम
ध्यान देकर खुद पर अपनी
चिंता मिटाए आप ही हम।।
नहीं बनता बड़ा कोई जग में
खुद को ही बड़ा कहने से
बड़ा तो बनता है इंसान कर्मो से
और दूसरों के बड़ा मानने से।।
खुद भी बढ़े हम आगे, दूसरों की
भी आगे बढ़ने में मदद करते रहें
एक दिन पाओगे खुद को शिखर पर
जो बुलंद हौसलों से आगे बढ़ते रहे।।