शिखरिणी छ नंद
नाइ कोपलें
झांक झांक सुनतीं
फागुन गीत।
गदरा गए
पेड़ पत्तों से लदे
गूंजे संगीत।
फूली बगिया
हंसती सुगन्ध है
ये मतवारी।
होली उत्साह
जागा है प्रकृति में
मनवाँ वारी।
मस्त प्राण हैं
पिया संग लगे ये
बहार प्यारी।
नाइ कोपलें
झांक झांक सुनतीं
फागुन गीत।
गदरा गए
पेड़ पत्तों से लदे
गूंजे संगीत।
फूली बगिया
हंसती सुगन्ध है
ये मतवारी।
होली उत्साह
जागा है प्रकृति में
मनवाँ वारी।
मस्त प्राण हैं
पिया संग लगे ये
बहार प्यारी।