“शिक्षा नीति और शिक्षक”
“शिक्षा नीति और शिक्षक”
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देखो, यह समान शिक्षा प्रणाली;
बिहारी शिक्षक को, मिले गाली।
बच्चों का हो, सर्वांगीण विकास;
गुरुजन का हो, सदा ही उपहास।
गुरू बिन, मिलता था ज्ञान कहां;
अब गुरू को मिले अपमान यहां।
सिर्फ शिक्षा की, नीति ही हो नई;
भले, भूखे शिक्षकों की जान गई।
संघ व राज्य मिल साजिश करते,
कोई शिक्षक, भले ही भूखे मरते।
नये शिक्षा नीति से सदा सुधार हो,
भले शिक्षक ही क्यों न बीमार हो।
शिक्षा नीति की सिर्फ बहार होगी,
शिक्षकों पर सदा अत्याचार होगी।
वेतन मिलेगी, यहां चपरासी वाली;
शिक्षा चाहिए नालंदा,काशी वाली।
रोज-रोज, नई-नई फरमान सुनाते;
बाहरी प्रधान की,ये योजना बनाते।
शिक्षक को यहां , सदा खूब सताते;
अपने को, शिक्षा का हितैषी बताते।
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….✍️ पंकज “कर्ण”
………..कटिहार।।