शिक्षा को न तौल
शिक्षा को न तौल
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बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं पाओगे,
ज्ञान बिना अज्ञान ही रह जाओगे।
आंखे अब तू खोल,आंखे अब तू खोल।
शिक्षा को न तौल,पढ़ाई है अनमोल।।
शिक्षा बिन रोजगार नहीं पाओगे,
रोजगार बिन दुनिया में भटक जाओगे।
आंखे अब तू खोल,आंखे अब तू खोल।
शिक्षा को न तौल,पढ़ाई है अनमोल।।
संघर्ष भरी जीवन को कैसे चलाओगे,
मजदूरी कर दर दर की ठोकरें खाओगे।
आंखे अब तू खोल,आंखे अब तू खोल।
शिक्षा को न तौल,पढ़ाई है अनमोल।।
अज्ञानता की दौर पर जीवन को न तौल पाओगे,
नसे में चूर होकर बीबी बच्चों को भूल जाओगे।
आंखे अब तू खोल,आंखे अब तू खोल।
शिक्षा को न तौल,पढ़ाई है अनमोल।।
मजदूरी कर कर के बुढ़ापे को तुम लाओगे,
दीर्घायु जीवन को तुम अल्प आयु कर डालोगे।
आंखे अब तू खोल,आंखे अब तू खोल।
शिक्षा को न तौल,पढ़ाई है अनमोल।।
बड़े भाग मानुष चोला को तुम क्या जानोगे,
अंत समय आएगा तो बार बार पछताओगे।
आंखे अब तू खोल,आंखे अब तू खोल।
शिक्षा को न तौल,पढ़ाई है अनमोल।।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822