शिक्षा का अलख
***** शिक्षा का अलख (गीत) ****
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मिलकर शिक्षा का अलख जगाना है,
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
कोई भी बच्चा छूट ना जाए,
जन- गण -मन है शैक्षिक ज्योति पाए,
घर घर जाकर हमको शंख बजाना है।
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
मुफ्त किताबें पढ़ने को यहाँ मिलती,
छात्रवृत्ति छात्र को है जहाँ मिलती,
मिड डे मील का भी स्वाद चखाना है।
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
एक टका यहां लगता ना भाई,
खेल – खेल में होती खूब पढ़ाई,
रोचक शिक्षण अधिगम करवाना है।
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
योग्य प्रशिक्षित शिक्षक हैं पढ़ाते,
सर्वांगीण विकास छात्र का कराते,
शिक्षा अधिकारियों का भी बताना है।
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
सुन्दर मनोरम हैं भवन निराले,
हरे भरे पार्क मन को हैं भा ले,
साक्षरता अभियान सफल बनाना है।
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
मनसीरत लाख टके की बात बताए,
शिक्षा बिना जन है मूर्ख कहलाए,
चुन्नू के पापा- मम्मी को समझाना है।
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
मिलकर शिक्षा का अलख जगाना है,
सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाना है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)