शिक्षक….
शिक्षक….
जीवन मे पथ नया दिखलाके
शिखर तक उसने पहुँचाया
अँधियारो में इक दीप बनके
भर दिया जीवन मे उजियारा।
अक्षर ज्ञान,गिनती पहाड़े
इक, दहाई, सैकड़ा,हज़ारे
शब्द वे सारे यूँ सिखलाये
तभी राष्ट्र निर्माता कहलाये
विज्ञान,गणित, भूगोल सारे
सरल,सरस बन हमने जाने
सर्व विषयों का ज्ञान दाता
शिष्य के वे ही भाग्य विधाता
कुम्हार की सी चोट करता
सुंदर,सुडौल कुंभ तब घड़ता
बतलाते अनोखा तरीका
जीने का वो अजब सलीका
शिक्षक की है महिमा अनूठी
उज्जवल,प्रकाश,दीप ज्योति
आदर भाव से सत्कार करें
अतुलनीय योगदान याद करें।।
✍️”कविता चौहान ”
स्वरचित एवं मौलिक