‘शिक्षक’…
चाहे संकट की कोई घड़ी हो
लाख चुनौती प्रत्यक्ष खड़ी हो
परिश्रम और निरंतरता से
अपना कर्त्तव्य निभाते हैं…
वें ‘शिक्षक’ कहलाते हैं…
विघ्नों और व्यवधानों से
रुकने का सरोकार नहीं
पूर्ण क्षमता और प्रयास से
शिक्षार्थी को सुयोग्य बनाते हैं
वें ‘शिक्षक’ कहलाते हैं…
जीवनपथ का कठिन क्षेत्र हो
केवल लक्ष्य समक्ष मात्र हो
कोमलमन के भावी विषयों पर
मज़बूती से पकड़ बनवाते हैं
वें ‘शिक्षक’ कहलाते हैं…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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