शिक्षक
भूले नहीं
भूलाये जाते
ये फरिश्ते
तराशते हैं
देते हैं
मूरत रूप ये
जन्म देती माँ
पिता दिखाता है
दुनियाँ
भविष्य बनाते हैं
ये शिक्षक
हैं आर्दश
मार्गदर्शक
हमारे
हैं हम
आभारी इनके
रहेंगे ॠणी
जीवनभर इनके
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल