गुरु
गुरुकृपा सौभाग्य है,गुरु ज्ञान ब्रह्मास्त्र,
गुरु की महिमा कैसे कहूँ, अल्प शब्द का ज्ञान।
प्रथम पाठ माँ से पढ़ा,पिता ज्ञान की खान,
कण -कण ने अनुभव दिया,तब जीवन हुआ महान।
समझ मिली स्कूल से,बहुत पढ़ें जहाँ पाठ,
अधिगम कौशल से करी,सभी परीक्षा पास।
संघर्षों की क्या कहें, ग्रहों की अपनी चाल,
सीख दी जो समय ने,सुख दुःख सबके साथ।
आप सभी को नमन है,हृदय से है आभार,
अर्जित जो कु छ है किया,उसका करूं विस्तार।