*शिक्षक हमें पढ़ाता है*
शिक्षक हमें पढ़ाता है,
हमको लाड़ लड़ाता है।
जिस रास्ते से जाना हमको,
उसको सरल बनता है।
स्थान जिसका रब से ऊपर,
बनाता हमको सूपर डूपर।
जो हमसे नहीं आता है,
वो सब कुछ हमें सिखाता है।
शिक्षक हमें पढ़ाता है,
हमको लाड़ लड़ाता है।।१।।
जीवन का हर दाब पेज वो,
सहज सरल सिखलाता।
वह दर्पण है सभ्य समाज का,
झूठ कभी न दिखलाता।
एहसान उसके अनगिनत हैं,
कोई उतार न पाता है।
शिक्षक हमें पढ़ाता है,
हमको लाड़ लड़ाता है।।२।।
नवांकुरों को अपने बल से,
अर्श पर पहुंँचाए उनको तल से।
ना कोई लोभ ना कोई लालच,
मिटाता हमारा अन्धकार आलस।
कितने मास्टर डॉक्टर अफसर,
अपने जीवन में बनाता है।
शिक्षक हमें पढ़ाता है,
हमको लाड़ लड़ाता है।।३।।
उसके शिष्य हों उससे आगे,
उसकी ऐसी सोच है।
न कभी कोई पहुंँच सके,
ऐसी उसकी पहुंँच है।
खुद अटका हो चाहे भंँवर में,
हमको पार कराता है।
शिक्षक हमें पढ़ाता है।
हमको लड़ लड़ाता है।।४।।
मंजिल चुनना गुनना बुनना,
कोई साधारण सा काम नहीं।
बदले देश बदल दे दुनिया,
सद्गुणों का वह धनी।
दुष्यन्त कुमार खुद शिक्षक है,
जो सीखा आज सिखाता है।
शिक्षक हमें पढ़ाता है,
हमको लाड़ लड़ाता है।।५।।