शिक्षक दिवस
1
जहाँ टपका दुखी आँसू, वहाँ घायल हुआ शिक्षक ।
जहाँ टूटा सपन कोई, वहाँ पागल हुआ शिक्षक ।
दुखों की राह में जग को, अकेला छोड़ता है कब-
जहाँ देखा अधर प्यासे, वहाँ बादल हुआ शिक्षक ।
2
पकड़कर प्रेम से उँगली, विमल पथ पर बढ़ाता है ।
ककहरे से शुरू करके, शिखर शिक्षा चढ़ता है ।
फकत इक देह मत समझो, दिवाकर दिव्य है गुरु तो-
अँधेरा सोख कर जग का, उजाला जो लुटाता है ।
अशोक दीप
जयपुर