शिक्षक दिवस ।
मैं राहों में हु ..मगर मंजिल वही दिखाता है ।
गिर भी जाऊ जमीं पे उठना वही सिखाता है ।
खुले आसमा में भले ही ख़ुद को बड़ा महसूस कर लूं
इन आसमां में फिर उड़ना वही सिखाता है ।
इंसान को इंसान , धूल को आसमां भी वही बनाता है
अपने शिक्षा से हमें काबिल बनना वही बताता है
है नमन ऐसे गुरुओं को जो हमें बहुत कुछ सिखाया ,
ज़िन्दगी जीने का सलीका भी वही सिखाता है ।
मुझें बड़े बड़े सपने मेरी आँखों मे दिखाता है
मैं जो उनके पास रहु तो सारा जहां दिख जाता है
लिखने को तो बहुत कुछ लिख भी दु मग़र ,
ये हुनर भी तो हमें भला वही सिखाता है ।
सच और झूठ में हमेशा फर्क़ हमें बताता है
एक सच्चा इंसान बनना ऐसी शिक्षा दिलाता है ।
वैसे तो हर दिन गुरु के बिना अधूरा ही है ।
वो हमेशा ख़ुद के दिल मे सबको बसाता है ।
~हसीब अनवर