Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2024 · 1 min read

*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ

शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छंद )
_________________________
शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है
शिक्षक का जो आचरण रहा, वैसा समाज बन जाता है
शिक्षक ही शिष्यों को सुधार, जीवन में पूर्ण बनाएगा
शिक्षक यदि सुखी-प्रसन्न हुआ, तो रामराज्य आ जाएगा

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
चौदह साल वनवासी राम का,
चौदह साल वनवासी राम का,
Dr. Man Mohan Krishna
इस क़दर
इस क़दर
Dr fauzia Naseem shad
फ़ना से मिल गये वीरानियों से मिल गये हैं
फ़ना से मिल गये वीरानियों से मिल गये हैं
Rituraj shivem verma
हिंदी मेरी माँ
हिंदी मेरी माँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अधि वर्ष
अधि वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तज द्वेष
तज द्वेष
Neelam Sharma
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
manjula chauhan
सावन
सावन
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
Shweta Soni
तोड़ डालो ये परम्परा
तोड़ डालो ये परम्परा
VINOD CHAUHAN
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
विकास शुक्ल
हटा 370 धारा
हटा 370 धारा
लक्ष्मी सिंह
अधूरी सी ज़िंदगी   ....
अधूरी सी ज़िंदगी ....
sushil sarna
मैं उसे अनायास याद आ जाऊंगा
मैं उसे अनायास याद आ जाऊंगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
!! सत्य !!
!! सत्य !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
Ravi Prakash
3354.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3354.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मन की आंखें
मन की आंखें
Mahender Singh
तेरी यादों के आईने को
तेरी यादों के आईने को
Atul "Krishn"
*हिंदी मेरे देश की जुबान है*
*हिंदी मेरे देश की जुबान है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तितलियां
तितलियां
Adha Deshwal
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
कवि दीपक बवेजा
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
Shwet Kumar Sinha
ऐ मौत
ऐ मौत
Ashwani Kumar Jaiswal
हमने तुमको दिल दिया...
हमने तुमको दिल दिया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पुश्तैनी दौलत
पुश्तैनी दौलत
Satish Srijan
"मैं मजाक हूँ "
भरत कुमार सोलंकी
"जीत सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
#आलेख
#आलेख
*प्रणय प्रभात*
Loading...