**शिक्षक की बना दी बॉल**
**शिक्षक की बना दी बॉल**
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शिक्षक की बना दी है बॉल,
हर कोई जिस पर दागे गोल।
सारी बाते थोप कर अपनी,
फिर पूछते क्या करना बोल।
नई नई सी तकनीक बना कर,
फीकी नीतियाँ बजाते हैं ढोल।
तरह तरह के है काम निपटाए,
कोई न समझता उसका मॉल।
मनसीरत देखे मैदानी स्तर को,
ऊपर से नीचे खुलती है पोल।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)