शिकायत
बहुत शिकायत है न तुमको
कि शिकायते बहुत है मेरी
एक बार दूरियां बढ़ जाने दो
ये शिकायत भी दूर हो जायेगी तुम्हारी
वो वक्त भी आयेगा जब हर लम्हा
तुम्हे उस वक्त की याद दिलाएगा
जो बिताया तुमने साथ हमारे
भीगेगा दामन मेरा, नम होंगे आंखो के किनारे तुम्हारे
हाथों की लकीरों का लिखा कौन समझ पाया
वरना एक दूसरे की लकीरों में होते लोग
साथ हो तुम तो हमसफर माना है तुमको
पर साथ में सफर का लिखा ही नहीं योग
मेरी गलतियों की सजा मुकर्रर कर दो अब
हालात नही कि बातो से रिश्ते संभले अब
क्योंकि अल्फाजों के भी अर्थ बदल गए है अब
जो कभी समझ लेते थे मौन को वो शब्दो को भी नजरंदाज कर देते है अब।।