#शिकायत#
सुनकर मेरी बात, रखेंगे आप भी इतेफाक हमसे
मेरे सच से अक्सर , लोग रूठते हैं बेवजह हमसे,
समझौता झूठ से किया नहीं कभी, बस
इसी एक ऐब से लोग पराए हुए हमसे,
वो कहते रहे अक्सर कि ‘ईगो’ बहुत है तुम में
क्या करें, हसरत खुद्दारी की छुपाई न गई हमसे,
अब तो ये आलम है कि सच भी ऐहतियात से बोलते हैं
क्या पता कब, किसको शिकायत हो जाए हमसे।