” शिकायत क्यों ?”
कुछ खुशियां आती है हमारी जिंदगी में ,
हमें आजमाने के लिए ।
फिर क्यों करें हम शिकायत इससे ,
हमारे पास रूक जाने के लिए ।
एक धर्म भोगी रोक देते हैं ,
दुसरे को अपना धर्म निभाने के लिए ।
बात जब आती है खुद पर तो ,
रोते हैं अपना अधिकार पाने के लिए ।
एक पत्नी रोक देती है अपने पति को ,
उसका भाई , बेटा और कई रिश्ते निभाने के लिए ।
खुद ना पा सके जब पीहर में अपना हक ,
कई ताने कसती है अपने भाई को नीचा दिखाने के लिए ।
एक पति रोक देता है अपने पत्नी को ,
उसकी बहन , बेटी और कई रिश्ते निभाने के लिए ।
खुद ना पा सके जब प्यार अपने बहन से ,
कई दुहाईया देता है अपनी बहन को खुद को श्रेष्ठ बनाने के लिए ।
दूसरों के प्रति भूल जाते हैं हम हमेशा ,
अपना कर्तव्य और धर्म निभाने के लिए ।
सबसे पहले हाथ फैलाने पहुंच जाते हैं ,
जब बात हो अधिकार को पाने के लिए ।
अक्सर वही लोग निकलते हैं ,
दूसरों की सक्सियत डुबाने के लिए ।
जिनके खुद के चेहरे बड़े झूठे हैं ,
पहने हैं कई मुखौटे सिर्फ दुनिया में दिखावे के लिए ।
जिंदगी में हमेशा रहते हैं सुख – दुख ,
इस ज़माने को चलाने के लिए ।
नाकामयाबी का मंजर है यहां ,
हमें हमारा अस्तित्व समझाने के लिए ।
? धन्यवाद ?
✍️ज्योति ✍️