शिकायतों के अंबार
पति के घर आते ही , शिकायतों के अंबार।
पति बोले खीझ कर ,कैसी औरत हो यार।
अभी लौटा हूं थका हुआ,थोड़ा लेने दो दम।
चाय पकौड़े ग़र हो जाते, थोड़े गरमा गरम
पत्नी बना देगी चाय पकौड़े,मगर अनमनी सी।
नज़र चुरा के देखे वो ,अभी है पत्नी ठनी सी।
मां ,बहन, बच्चों की , शिकायतें कैसे करूं मैं दूर
9 से 5 की नौकरी ने ,किया मुझे बहुत मजबूर।
किस किस को समझाऊं, भूलने दो सारे ग़म
सब कुछ छोड़कर पति ने ,निकाल ली फिर रम।
सुरिंदर कौर