शिकवे गिले
आओ……….
चाय की चुस्कियों के साथ
ग़म ग़लत करते हैं
जो गलत था
उसे सही करते हैं ,
सुनो……….
वो विचार तब अलग थे
सोच तब जुदा थी
उम्र के तक़ाज़े थे तब
वक्त के चौराहे पे खड़े हैं अब ,
चलो………..
तुम भी सही थे
मैं भी सही हूँ
अब मिल – जुल कर
एक दूसरे की सुनते हैं ,
आओ………..
चाय की चुस्कियों के साथ
ग़म ग़लत करते हैं !!!
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/02/18 )