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6 Oct 2024 · 1 min read

***** शिकवा शिकायत नहीं ****

***** शिकवा शिकायत नहीं ****
*****************************

कोई शिकवा कोई शिकायत नहीं,
कोई भी की हमने बगावत नहीं।

नजरों से औझल तुम रहे हो सदा,
मुख पर आई कोई हिमाक़त नहीं।

खोये – खोये दिखते रहे हो कहीं,
जारी फ़तवा कोई हिदायत नहीं।

मौके मिलते रहते हमें पल – पहर,
दिल ने की कोई भी शरारत नहीं।

छूना चाहा था संगमरमर सा बदन,
देखी उन सी जैसी शराफत नहीं।

मनसीरत मन है बाँवरा राहें देखता,
उन जैसी देखी थी लियाक़त नही।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

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