साहित्य के सबसे बड़े कहानीकार, उपन्यास, सम्राट, हिंदी-उर्दू ज्ञात, रचनाकार मुंशी प्रेमचंद जी को कोटि-कोटि नमन।
ऐसे महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी के लिए उनके जयंती पर मैं एक छोटी सी कविता कहना चाहूंगी जो इस प्रकार :-
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*बहुत आए आपके जैसे….
पर आपकी कलम जैसी बात कहां..✍️।
बहुत से होंगे आपसे जलने वाले..
पर आप जैसा व्यवहार कहां।।
ख्वाहिश ना थी आपको मशहूर होने की..
बस ख्वाहिश तो इतनी सी थी कि लोगों को
हकीकत से रूबरू कराना।।
आपकी लेखनी जब भी है चली..✍️
तब सच्चाई को है दर्शाती..
ना करती बनावटी बातें, ना करती दिखावटी..
ऐसी थी आपकी लेखनी की शक्ति।।
आपके सोच ने विधवा-विवाह का किया समर्थन..
जो आज विधवा स्त्री को मिला रंगीन जीवन..
योगदान ना भूलेंगे मुंशी प्रेमचंद का जीवन..
ऋणी रहेंगे हम सब आपकी सोच में पूरी जीवन।।
आपकी गोदान रचना से हुआ किसानों का सम्मान..
तभी तो कहते हैं शास्त्री जी जय-जवान ,जय-किसान।।
आपके कहानियों, रचनाओं और उपन्यासों में..
सच्चाईयो और आजादियो पर है बोल-बाला..
तभी तो आप कहलाते हैं प्रेमचंद आधुनिक हिंदी-कहानी के पितामह।।
? ! जय साहित्य !?
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