शाश्वत प्रेम
मुझे जीवन मे लाखो रंग दिखे हे!
जो दिखे, केवल वो ही रंग लिखे है!!
शाश्वत प्रेम केवल मात-पिता का है,
बाकी तो स्वार्थ समस्या संग बिके है!!
भाई-भावज,पत्नी-पुत्र रिश्ते बेमानी,
साथ चले नही, जब हम तंग दिखे है!!
आओ सैर करा दू समाचार पत्रो की,
पत्नी हत्या करवाई प्रेमी संग लिखे है!!
बेटो ने जमीन जायदाद के बंटबारे को,
रात सोते बूढे को मार दिया तंग दिखे है!!
पाकिस्तान से पबजी प्रेमी सचिन खातिर,
तीन बच्चो को ले भाग आई,संग दिखे है!!
एक अभागी बच्चे बिलखते छोड पाक गई,
किस किस्से का जिक्र करै,जो ढंग दिखे है!!
पिता पापी हो सकता था,मात कुमाता नही,
पर बदले ढंग मे,प्रभु सुमिरन संग लिखे है!!
सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट.कवि,पत्रकार 202 नीरवनिकुजं फेस -2
सिकंदरा,आगरा-282007 मो:9412443093