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24 Jan 2021 · 1 min read

शारदे वन्दना

विधाता छन्द
1222 1222 1222 1222
तुम्हें कर जोड़कर माँ शारदे प्रणाम करता हूँ।
हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ।

तुम्हारे हाँथ मर वीणा सुशोभित पुष्प पुस्तक है।
सवारी हंस की सुंदर मुकुट शुभ स्वर्ण मस्तक है।
सदा श्रद्धा सुमन से शारदे आह्वान करता हूँ।
हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ।

मिटाकर द्वेष माँ मेरे ह्रदय में प्रीत तू भर दे।
नहीं साहित्य में हारूँ हमेशा जीत तू कर दे।
पढूँ नित काव्य को प्रतिदिन सदा रसपान करता हूँ।
हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ।

लिखें उद्गार क्या दिल से हमें नव भाव माँ दे दे।
चले जो अनवरत मेरी कलम को धार वो दे दे।
शुरू नित काव्य से पहले सदा गुणगान करता हूँ।
हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ।

चलूँ नित सत्यपथ पर ही करूँ शुभ कर्म ही मैया।
सफल हो लेखनी मेरी करे भव पार तू नैया।
अभी मतिमंद मूरख हूँ मैं’ अक्षरज्ञान करता हूँ।
हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ।

तुम्हें कर जोड़कर माँ शारदे प्रणाम करता हूँ।
हमें सुरताल दो माता तुम्हारा ध्यान करता हूँ।

अभिनव मिश्र अदम्य

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Comments · 297 Views
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