शारदे माँ
शारदे माँ सज रही तुम, आज वीणा बजाती
संगीत में रमी तुम, हर तान है लुभाती
तू ज्ञान का समुद्र,दो बूँद चाहती मैं
झोली भरो कृपा कर, तेरी सुता कहाती
तू भाग्य को बनाती मैंने सुना है माता
जब भी सृजन करूं तो, कर जोड़ मैं बुलाती
आई शरण तुम्हारी, हे हंस वाहिनी माँ
दान विद्या दीजिये,तुमको पुष्प चढाती
मेरी कलम चली तो, हो प्राण वाहिनी तुम
तुमसे कला मिली ,दिये बुझे तुम जलाती