शायर की मोहब्बत
हमें कुछ बताना हो तो बता देते है,
अपना इश्क हम शायर महफिलों में जता देते है।
और दर्द हमे देना तो, तुम सोच समझकर
वरना अपने आंसू को हम पन्नो पर उतार देते है।।
शरीफ का चोला पहनकर जो घूमते हो,
दगाबाजी को हम जमाने में करार देते है।
और मोहब्बत अगर सच्चे दिल से करोगे तो बात बनेगी
वरना हम महफिलों में नाम उछाल देते है।।
इश्क करते है, हुनर है इश्क का हमें,
जो निभाने वाला मिल जाए तो जिंदगी संवार देते है।
अगर मोहब्बत सच्ची लगी हमे तुम्हारी तो जान लो जान
हम इश्क में अपना सब कुछ वार देते है।।
और मोहब्बत सोच समझकर करना हमसे,
हम आंखों से इन्सान पहचान लेते है।
और अगर दगा करोगे तो मारे जाओगे ये जान लेना
हम हजार पर मरने वालो की जान निकल लेते है