शायरी
मुझे इतनी फुरसत कहां के
मैं अपनी हाथ कि लकिरो को पढ सकु।
मैरे घर बेटियां है
मैरी तो किस्मत ही बुलंदि पर है ।
सोनु सुगंध २०/०७/२०१८
मुझे इतनी फुरसत कहां के
मैं अपनी हाथ कि लकिरो को पढ सकु।
मैरे घर बेटियां है
मैरी तो किस्मत ही बुलंदि पर है ।
सोनु सुगंध २०/०७/२०१८