शायरी
मीत (मित्र) मिले जब मन मिले,
बिन मन मीत कहा से होय….
मीत (मित्र) मिले जब मन मिले,
बिन मन मीत कहा से होय….
मन तब मिले, जब मन खुले
बिन मन खुले,मीत की प्रीत कहां से होय।
————– सोनु सुगंध ०२/०६/२०१८
मीत (मित्र) मिले जब मन मिले,
बिन मन मीत कहा से होय….
मीत (मित्र) मिले जब मन मिले,
बिन मन मीत कहा से होय….
मन तब मिले, जब मन खुले
बिन मन खुले,मीत की प्रीत कहां से होय।
————– सोनु सुगंध ०२/०६/२०१८