शायरी
मैं नहीं चाहता की तू मुझ को दुआ दे
मैं नहीं चाहता की तू मुझे वफ़ा दे
मैं नहीं चाहता की रब से मेरे लिया कुछ मांग
पर में चाहता हूँ , तूं हर पल खुश रह !!
यह क्या मेरे लिए किसी दुआ से कम है
तूं खुश है तो मेरा मन भी खुश है
तुझ को खुश देख लूं तो समझूंगा की दुआ कबूल है
मेरा यार सुखी तो मेरा दिल खुशगवार है !!
अजीत
मेरठ