शायरी
इश्क का अरमान लिखने बैठे के कागजों के ठेर लग गये,
जज्बात मेरे खत्म ही न हुये, और पैगाम उन्हे बहुत मिल गये।
सोनु सुगंध ०४/०१/२०१९
इश्क का अरमान लिखने बैठे के कागजों के ठेर लग गये,
जज्बात मेरे खत्म ही न हुये, और पैगाम उन्हे बहुत मिल गये।
सोनु सुगंध ०४/०१/२०१९