शायरी
जिस्म पर खाए हुए निशान तो चले जायेंगे
पर दिल पर जो चोट लगी कैसे हटायेंगे
हर पल संभाला बहुत ,बाहर लगी हुई चोटों को
पर दिल की लगी हुई, कैसे समझाएं इस दिल को !!
तुझे देख कर तो चाँद भी शरमा जाये
मैं तो यहाँ क्या चीज हूँ, , नशवर सी
वो तो नशवर नहीं है न, फिर भी देखो
तुम को देखते ही शरमा सा जाता है !!!
अजीत तलवार
मेरठ