शायरी
तेरी नजर में शायद ममैं बुरा सही, हो सकता है
मैने अपनी नजरों को भी समझाया है तेरी खातिर
कि झुक जाया कर जब वो ,आ जाया करे उन्हें देख कर
कहीं वो गलत न समझे , प्यार में अक्सर हो जाता है !!
तेरी महफ़िल ने पुकारा था, तो मैं आ गया
तुझे देखते ही समां जैसे मेरे पास आ गया
फुर्सत मिलेगी तो देख लेना मुझे जी भर के
न जाने अगला समां कैसा हो ,हम हो न हों !!
अजीत तलवार
मेरठ