शायरी
दूर होकर भी वो पास रहता है,
दुखे दिल का मेरे वो मरहम बनता है।
याद रखता है इस क़दर हमको,
पुकारे बिना हमें वो रह नहीं पाता है।
मैं मनाऊं उसको तो मान जाता है,
रूठना उसे बिलकुल भी नहीं आता है।
दूर होकर भी वो पास रहता है,
दुखे दिल का मेरे वो मरहम बनता है।
याद रखता है इस क़दर हमको,
पुकारे बिना हमें वो रह नहीं पाता है।
मैं मनाऊं उसको तो मान जाता है,
रूठना उसे बिलकुल भी नहीं आता है।