शायरी
कहकर यह वो हमसे हुए दूर
की हम उनसे प्यार नहीं करते
जुबान से अपनी मोहब्बत का
इजहार नहीं करते
अगर देखनी ही थी मोहब्बत हमारी
तो देखते हर बात में तेरे जिक्र को
हर पल रहती तेरी फिक्र को
तेरी याद में कटी उन रातों को
तूझसे जो किए उन वादों को
देखते मेरी इस दिल को चाहत को
तुझे देख मिलती उस राहत को
अब भी सवाल करोगे
आप हमसे एतबार नहीं करते
कहकर यह वो हमसे हुए दूर
की हम उनसे प्यार नहीं करते
जुबान से अपनी मोहब्बत का
इजहार नहीं करते