शायरी
करवट बदल बदल कर हम सोते,
क्योंकि नींद आती नहीं ।
कितनी भी कोशिश कर लूं
मगर आपकी याद जाती नहीं
नींद आ गई फिर भी क्या
सपनों पर भी तो आपका पहरा है।
कमबख्त यह दिल का घाव बड़ा गहरा है।
करवट बदल बदल कर हम सोते,
क्योंकि नींद आती नहीं ।
कितनी भी कोशिश कर लूं
मगर आपकी याद जाती नहीं
नींद आ गई फिर भी क्या
सपनों पर भी तो आपका पहरा है।
कमबख्त यह दिल का घाव बड़ा गहरा है।