शायरी
कैसा सैलाब खुद में समाए रक्खा।
क्यो दर्द को दिल में यूं दबाए रक्खा।
कभी कुछ कह सुन लिया होता तुमने।
क्यो तुमने ये साथ लंबा ना बनाये रक्खा।
वक्त थम सा गया दीदार को।
कोई आया मिलने मेरे यार को।
दामन में खुशियां अपार थी पर।
बाँट आया इस दुखी संसार को।
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मनीष कुमार सिंह ‘राजवंशी’