शायरी
आँख खोल कर वो मुस्काई तो सवेरा हो गया ।
हमने देखा चाँद तो वो उसका चेहरा हो गया ।।
मेहंदी तो खुद देती रहती है रंगों को हाथों में
उसने छू ली मेहंदी तो रंग उसका गहरा हो गया ।।
– चिंतन जैन
आँख खोल कर वो मुस्काई तो सवेरा हो गया ।
हमने देखा चाँद तो वो उसका चेहरा हो गया ।।
मेहंदी तो खुद देती रहती है रंगों को हाथों में
उसने छू ली मेहंदी तो रंग उसका गहरा हो गया ।।
– चिंतन जैन