शायरी
दिल के बुरे नहीं हम
बस दुनियां ने बदनाम कर रखा है,
मोहब्बत, खुशामत,मिन्नत,इल्तेज़ा क्या क्या नहीं किया मैंने, तेरे लिए,
फिर भी तूने अपनी ज़िंदगी से मुझे बेनाम कर रखा है।
दिल के बुरे नहीं हम
बस दुनियां ने बदनाम कर रखा है,
मोहब्बत, खुशामत,मिन्नत,इल्तेज़ा क्या क्या नहीं किया मैंने, तेरे लिए,
फिर भी तूने अपनी ज़िंदगी से मुझे बेनाम कर रखा है।