शायरी- दिल से दिल तक (3)
1.
कब तलक इस तरह अपने दिल को बहलाओगे
जो आंखें बंद कर लो तो मुझे ही सामने पाओगे।
2.
जिससे भी है इश्क तुमको, इश्क का इज़हार करो
आंखें जो कह रही है बस उससे न इन्कार करो।
3.
सामने जब होंगे हम फिर क्या करोगे
बंद करके आंखों को बाहों में भरोगे।
4.
दम निकले तेरी बाहों में यही अरमान है
तू कब मानेगी ये कि तू ही मेरी जान है।
5.
हम तो अपनी जान से प्यार करते है जो तुझमें बसी है
जीने को काफी है, दिखती रहे हमें तेरे चेहरे पर जो हंसी है।
6.
तेरे चेहरे की ये मुस्कान भा गई है मुझको
शाम हो गई है, तेरी याद आ गई है मुझको।
7.
क्यों ये तेरी याद अब मेरा पीछा नहीं छोड़ती
सुना था हमने तू किसी का दिल नहीं तोड़ती।।
8.
मेरे इस दिल को तू तोड़ न देना कभी
प्यार करते हो मुझसे ये कह दो न अभी।
9.
तेरे प्यार की आस में बरसों से जी रहा हूं मैं
ये इश्क के जाम तेरी आंखों से पी रहा हूं मैं।
10.
खोल दो बंद आंखों को इस समंदर में उतरने का मौका तो दे
जाने डूब गए हैं कितने इनमे, गहराइयों को मापने का मौका तो दे।
11.
हम तो कूदे है इश्क के दरिया में, अब नैया पार लगा दे
करके हमारा इश्क कुबूल, बस एक बार गले लगा दे।
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