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30 Sep 2024 · 1 min read

शायरी की राह

अक्ल पर पत्थर पड़े थे
जो ये गत कर ली
अच्छी खासी नौकरी छोड़
शायरी की राह पकड़ ली

क्या पैसे आते
अच्छे नहीं लगते थे
क्या ऐशो आराम
तुमको चुभते थे ?

अब बनाओ बजट,
फूंक के रखो कदम
कीमत देख के खरीदो
जेब में नहीं रहा दम

क्या कहा?
बचपन का शौक है
अरे बचपन तो गया,
बुढ़ापे में क्यों सर फिरा

कमाने से
बनता है रुतबा
मिलती है इज्जत,
बढ़ता ओहदा

अब घर बैठ के
रोटी बनाओ………..
नौकरी क्यों छोङी
सबको बताओ

चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)

Language: Hindi
1 Like · 15 Views
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